बीजेपी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए पूरे जोर शोर के साथ जुट गई है. इसके लिए उसने सोशल मीडिया को सबसे बड़े हथियार बनाया है. उधर, विपक्षी पार्टी भी इस पर पिछले कई महीनों से काम कर रही है.

बीजेपी का थिंक टैंक इन दिनों सोशल मीडिया में विपक्ष का खेल खराब करने की रणनीति पर काम कर रहा है. पार्टी ने शुरुआत सांसदों से की है. लोकसभा और राजसभा के एमपी को यूट्यूबर और सोशल मीडिया में एक्टिव रहने वालों से मीटिंग करने को कहा गया है. ट्विटर, फेसबुक और यूट्यूब पर प्रभाव रखने वालों को जोड़ने का रोडमैप तैयार किया गया है. कर्नाटक चुनाव हारने के बाद ये छवि बन रही है कि सोशल मीडिया में विपक्ष मजबूत हो गया है. कई पत्रकार, प्रोफेसर और वकील विपक्ष के मुद्दों और विचारधारा को आगे बढ़ा रहे हैं….

बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व का मानना है कि उसके पास भी ऐसे लोगों की लंबी लिस्ट होनी चाहिए. बीजेपी हाईकमान की तरफ से सभी सांसदों को तीन पेज का फार्म भेजा गया है. इसमें से एक फार्म तो बेहद दिलचस्प है. सांसदों से कहा गया है कि वे विपक्षों लिए काम करने वाले यूट्यूबर और सोशल मीडिया इंफ्ल्यूएंसर से मिलें. उनके साथ मीटिंग करें. उनको अपनी तरफ जोड़ेंगे का प्रयास करें. उन्हें अपना बनाएं. मीटिंग में न्यूट्रल रहने वाले और बीजेपी के पक्ष वाले यूट्यूबर को भी बुलाने को कहा गया है.
बीजेपी की रणनीति तेलंगाना कि सोशल मीडिया पर उसका कब्जा हो जाए. विपक्ष के नेताओं ने टीवी न्यूज चैनलों पर सत्ता पक्के समर्थक होने का टैग लगा दिया है. राहुल गांधी से लेकर अखिलेश यादव तक इस तरह के बयान देते रहते हैं. आपको याद होगा कि भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल ने किसी न्यूज चैनल को इंटरव्यू नहीं दिया. लेकिन कई यूट्यूबर को उन्होंने लंबे-लंबे इंटरव्यू दिए. विपक्ष ने इस तरह से एक नैरेटिव बना दिया कि अगर सही खबर देखना और सुनना हो तो सोशल मीडिया में जाएं.
चुनाव में प्रचार का सबसे बड़ा प्लेटफार्म सोशल मीडिया
एक तरह से ये तय हो गया है कि अगले लोकसभा चुनाव में प्रचार का सबसे बड़ा प्लेटफार्म सोशल मीडिया और यूट्यूब ही होने वाला है. इसीलिए बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक दी है. कोशिश ये है कि ऐसा हो जाए कि विपक्षों लिए बैटिंग करने वाले मोदी और बीजेपी का गुणगान करने लगें. सबसे पहले पार्टी ने ये टास्क अपने सांसदों को दिया है. पार्टी से जो फार्म उन्हें दिया गया है उसमें उन्हें ये बताना है कि विपक्ष वाले यू टयूबर और सोशल मीडिया इंफ्ल्युएंसर्स से मुलाकात का उनका अनुभव कैसा रहा. उनके साथ हुई बैठक की फोटो भी उन्हें फार्म के साथ भेजना है. कह सकते हैं कि एक तरह से सासंदों की परफॉर्मेंस रिपोर्ट तैयार हो रही है.

वे लोग कर्नाटक की बीजेपी सरकार के भ्रष्टाचार की रिपोर्ट तैयार करते थे. इस टीम के लोग कभी कैमरे पर नहीं आते हैं. सूत्रों से जानकारी मिली है कि बीजेपी के थिंक टैंक ने भी कुछ पत्रकारों और बुद्धिजीवियों से संपर्क किया है कि वे उनके लिए यूट्यूब वीडियो बनाए. बीजेपी के पक्ष में माहौल बनाएं. कुछ दिनों पहले बीजेपी के कुछ नेताओं ने कई बुद्धिजीवियों से भी मुलाकात कर उनसे भी यही करने की अपील की है.
देश में करीब 80 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन
सरकार का दावा है कि देश में करीब 80 करोड़ लोगों के पास स्मार्टफोन है. अधिकतर लोग अब मोबाइल पर ही खबरें देख और सुन लेते हैं. टीवी पर न्यूज देखने का चलन कम हो रहा है. सोशल मीडिया में सब अपने अपने हिसाब की चीजें देख लेते हैं. आपने शायद गौर किया होगा कि पिछले कुछ समय से बीजेपी भी ऐसे वीडियो पोस्ट करने लगी है जिसमें किसी मुद्दे का विश्लेषण किया जाता है.
कांग्रेस के पास ऐसे लोगों की एक बड़ी टीम पिछले कई महीनों से ये काम कर रही है. पार्टी से अलग कोई जाना पहचाना चेहरा अगर किसी मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं तो लोग उसे गंभीरता से देखते और सुनते हैं. इसमें कुछ बीजेपी साइड के होते हैं तो कुछ उसके खिलाफ. सोशल मीडिया में विपक्षी रीच को कम करने के लिए बीजेपी ने पूरी प्लानिंग कर रखी है.